- Vinode Prasad
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ज़िंदगी गैरज़रुरी सही नागवार नहीं है
कुछ प्यार सा तो है मगर प्यार नहीं है
इंकार तो किया न उसने कभी मुझसे
ज़ाहिर सा मगर कोई, इक़रार नहीं है
फिर काम पे जाना सुब्ह से शाम तक
फुर्सत कहाँ, याद करुं ,इतवार नहीं है
अबके मौसम में तब्दीलियां कुछ रहे
आई बहार, घर मगर गुलज़ार नहीं है
बेपरवाह दिल का तो आलम न पूछें
सौ दर्द है, कमबख़्त शोगवार नहीं है
मेरी वफ़ा पे शायद यक़ीं नहीं उनको
फुरक़त ए ग़म से,वो बेक़रार नहीं है
दिल से लाज़वाब नहीं, चीज़ है कोई
इनसे ख़ूबसूरत,मेरा अशआर नहीं है
महबूब सा कोई गुलफ़ाम नहीं होता
मुझसा क्या फ़क़ीर,शहरयार नहीं है
(विनोद प्रसाद)
शोगवार:पीड़ाग्रस्त
फ़ुरकत ए गम:विछोह की पीड़ा
गुलफ़ाम:फूल सा खूबसूरत
शहरयार:राजा