
स्वयं इतना कभी अभिमान न हो आँसू का कोई भी अपमान न हो •••
- Vinode Prasad

- Mar 9, 2024
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स्वयं इतना कभी अभिमान न हो
आँसू का कोई भी अपमान न हो
मैं नहीं रहा कभी श्राप बन कर
तुम भी वैसे, कोई वरदान न हो
किस काम के वो रिश्ते जहाँ पर
एक दूजे के वास्ते सम्मान न हो
सोच लेना गुनाह करने से पहले
जगह बता, जहाँ भगवान न हो
सच तो केवल वही सच होता है
कोई संशय कोई अनुमान न हो
वो दर्द ही क्या जो बेआसरा रहे,
दिल क्या जिसके अरमान न हो
हरवक़्त सन्नाटे सुनाई देते जहाँ
घर किसीका ऐसा विरान न हो
(विनोद प्रसाद)
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